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गोरखपुर

यूपी के 150 से अधिक थानेदार-सिपाही सीबीआई रडार पर, होगी पूछताछ

बालिका आश्रयगृह कांड में मनमानी कर महिलाओं-बच्चियों को भेजने का आरोपतत्कालीन एसपी ने आश्रय गृह से बच्चियों को मुक्त कराया था, देह व्यापार का लगा था आरोप

गोरखपुरSep 07, 2019 / 01:13 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

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देवरिया बालिका गृह कांड की जांच अब सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने सिविल पुलिस की जांच व अन्य सबूतों को परखने के साथ साथ संदिग्ध गतिविधियों वाले जिले में तैनात रहे 155 से अधिक इंस्पेक्टर-दरोगा व सिपाहियों से पूछताछ करेगी। सीबीआई ने इस मामले से जुड़े तमाम दस्तावेज पुलिस विभाग व अन्य जगहों से अपने कब्जे में ले लिया है।
फिलहाल, सीबीआई सूत्रों का कहना है कि अभी तक की कार्रवाईयों, दस्तावेजों, सबूतों व अन्य गतिविधियों की सीबीआई अध्ययन कर रही है।
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यह है मामला

बिहार के मुजफ्फरनगर के बाद यूपी के देवरिया में एक बलिकागृह अगस्त 2018 में सुर्खियों में आया था। यहां एक बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा किया था। किसी तरह दरिंदों की चंगुल से छूट एक बच्ची थाने पहुंची तो मामला सामने आया। इसके बाद हुई कार्रवाई में 24 बच्चियों व महिलाओं को वहाँ से छुड़ाया गया। उस वक्त बालिका गृह संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, उनके पति सहित तीन को गिरफ्तार कर लिया गया था। बालिका गृह का संचालन हो रहा था।
मां विंध्यवासिनी महिला शिक्षण प्रशिक्षण व समाज सेवा संस्थान द्वारा देवरिया में बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु सहित कई गतिविधियां संचालित की जा रही थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संस्था की मान्यता रद कर दी थी। इसके बावजूद संस्थान द्वारा बालिका गृह संचालित किया जा रहा था। बेतिया बिहार की रहने वाली एक बच्ची प्रताड़ना से तंग आकर संस्था से किसी तरह भाग कर महिला थाने पहुंची। उसने अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई। महिला थाने से एसपी को जानकारी दी गई। तत्कालीन एसपी ने तत्काल कार्रवाई को निर्देश दिया। देर रात में ही फोर्स के साथ बालिका गृह में छापेमारी हुई।
इस छापेमारी में 24 बच्चियों व महिलाओं को मुक्त कराया गया। एसपी रोहित पी कनय ने बताया था कि बच्चियों की उम्र 15 से 18 साल है। इन्होंने बातचीत में यह भी बताया था कि इनसे गलत कृत्य कराए जा रहे थे। बच्चियों ने बताया था कि दीदी लोगों को लेने के लिए रात में कार आती थी। जब वह लोग वापस आती थी बहुत रोते हुए आती, पूछने पर कुछ नहीं कहती। बच्चियों ने बताया कि उनसे बहुत काम लिया जाता था, पोछा भी लगाया जाता था। नहीं करने पर मारा पीटा जाता था।
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मामला जब तूल पकड़ा तो सरकार ने कार्रवाईयां शुरू की। पता चला कि तमाम सफेदपोश, चर्चित बड़े अफसरान की भी नजर-ए-इनायत इस आश्रय गृह पर रही है। हालांकि, पहले तो सरकार की सख्ती के बाद कार्रवाईयां शुरू हुई और फिर शनै-शनै मामले को मोड़ने की कोशिश भी प्रशासन-पुलिस ने शुरू कर दी।
हालांकि, अब मामला सीबीआई के हाथ चला गया है। माना जा रहा है कि सीबीआई उन पुलिसवालों से भी पूछताछ करेगी जिन्होंने आश्रम गृह में बच्चियों-महिलाओं को पहुंचाया था। क्योंकि मां विध्वासिनी महिला सेवा संस्थान की तीन संस्थाओं की मान्यता जून 2017 में स्थगित कर दी गई थी। डीएम ने पत्र जारी कर पुलिस विभाग व थानों को यह ताकीद की थी कि महिलाओं और बच्चियों को इस संस्था में नहीं रखा जाएगा। लेकिन दो बार डीएम के पत्र के बाद भी पुलिस विभाग इस संस्था पर मेहरबान रहा। कोर्ट के आदेश पर जून 2017 से जून 2018 तक लड़कियों व महिलाओं को आश्रय गृह भेजने वाले पुलिसकर्मियों की सूची बनाई गई थी। इस सूची मेें 35 थानेदारों व 122 पुलिसकर्मियों के नाम शामिल थे। माना जा रहा है कि इन पुलिसवालों को अब सीबीआई की पूछताछ का सामना करना पड़ेगा।
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