मां विंध्यवासिनी महिला शिक्षण प्रशिक्षण व समाज सेवा संस्थान द्वारा देवरिया में बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु सहित कई गतिविधियां संचालित की जा रही थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संस्था की मान्यता रद कर दी थी। इसके बावजूद संस्थान द्वारा बालिका गृह संचालित किया जा रहा था। बेतिया बिहार की रहने वाली एक बच्ची प्रताड़ना से तंग आकर संस्था से किसी तरह भाग कर महिला थाने पहुंची। उसने अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई। महिला थाने से एसपी को जानकारी दी गई। तत्कालीन एसपी ने तत्काल कार्रवाई को निर्देश दिया। देर रात में ही फोर्स के साथ बालिका गृह में छापेमारी हुई।
इस छापेमारी में 24 बच्चियों व महिलाओं को मुक्त कराया गया। एसपी रोहित पी कनय ने बताया था कि बच्चियों की उम्र 15 से 18 साल है। इन्होंने बातचीत में यह भी बताया था कि इनसे गलत कृत्य कराए जा रहे थे। बच्चियों ने बताया था कि दीदी लोगों को लेने के लिए रात में कार आती थी। जब वह लोग वापस आती थी बहुत रोते हुए आती, पूछने पर कुछ नहीं कहती। बच्चियों ने बताया कि उनसे बहुत काम लिया जाता था, पोछा भी लगाया जाता था। नहीं करने पर मारा पीटा जाता था।
हालांकि, अब मामला सीबीआई के हाथ चला गया है। माना जा रहा है कि सीबीआई उन पुलिसवालों से भी पूछताछ करेगी जिन्होंने आश्रम गृह में बच्चियों-महिलाओं को पहुंचाया था। क्योंकि मां विध्वासिनी महिला सेवा संस्थान की तीन संस्थाओं की मान्यता जून 2017 में स्थगित कर दी गई थी। डीएम ने पत्र जारी कर पुलिस विभाग व थानों को यह ताकीद की थी कि महिलाओं और बच्चियों को इस संस्था में नहीं रखा जाएगा। लेकिन दो बार डीएम के पत्र के बाद भी पुलिस विभाग इस संस्था पर मेहरबान रहा। कोर्ट के आदेश पर जून 2017 से जून 2018 तक लड़कियों व महिलाओं को आश्रय गृह भेजने वाले पुलिसकर्मियों की सूची बनाई गई थी। इस सूची मेें 35 थानेदारों व 122 पुलिसकर्मियों के नाम शामिल थे। माना जा रहा है कि इन पुलिसवालों को अब सीबीआई की पूछताछ का सामना करना पड़ेगा।